सूत्रों के अनुसार मोर्चा में सीटों के बंटवारे का फार्मूला यह है कि जिस दल का जो नेता लंबे समय से क्षेत्र में चुनाव की तैयारी कर रहा है और जातीय समीकरण उसके पक्ष में है उसे ही टिकट दिया जाएगा।
यदि सीट आरक्षित हो गई है तो उक्त नेता को ही यह अधिकार होगा कि वह अपनी पसंद के प्रत्याशी को चुनाव लड़ाए।
हिंदुस्तान के अनुसार ओवैसी की पार्टी के प्रत्याशी पश्चिम उत्तर प्रदेश के मेरठ, मुरादाबाद, अमरोहा, कन्नौज, आगरा आदि जिलों के साथ ही पूर्वांचल में आजमगढ़, मऊ, सुल्तानपुर अंबेडकरनगर, गोंडा, बहराइच तथा अन्य जिलों में भी चुनाव मैदान में उतरेंगे। जबकि ओम प्रकाश राजभर, बाबू सिंह कुशवाहा, कृष्णा पटेल और अन्य सहयोगी दल पूर्वांचल और मध्य यूपी की सीटों पर अधिक प्रत्याशी मैदान में उतारेंगे। पश्चिम में भी इन दलों के प्रत्याशी होंगे लेकिन संख्या कम होगी। इन दलों ने अपना पूरा जोर बलिया, गाजीपुर, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज, गोरखपुर, जौनपुर, चंदौली, प्रतापगढ़, सोनभद्र, मिर्जापुर, प्रयागराज, वाराणसी, बस्ती, बाराबंकी, कानपुर, फतेहपुर, बांदा आदि जिलों में लगा रखा है। पूरे राज्य में 2000 से ज्यादा प्रत्याशी मार्चा उतारेगा।
अगर प्रत्याशियों के शुरूआती ऐलान को देखा जाय तो मोर्चे ने मुस्लिम उम्मीदवारों पर खास तौर से फोकस किया है। आजमगढ़ में 23 में से 13 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। ऐसे में साफ है कि अगर यही समीकरण रहा तो बड़े पैमाने पर मोर्चा मुस्लिम उम्मीदवार उतार सकता है। जिसका सीधा नुकसान सपा और बसपा को हो सकता है। जबकि अगर मुस्लिम वोट बंट गए तो भाजपा को बड़ा फायदा मिल सकता है।